सिंगोरी न्यूजः उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच ने मांग की है कि कर्मचारी जब भी हड़ताल पर जाते हैं उन कारणों की समीक्षा हो, और उन कारणों के कौन जिम्म्ेदार रह उसकी जबाबदेही तय की जानी चाहिए। जाहिर तौर यह कर्मचारियों की मांग जितनी जायज है उतनी जरूरी भी हैं। क्योंकि जबाबदेही तय होगी तो अनावश्यक कारण जन्म नहीं ले सकेंगे। इसी जबाबदेही तय करने के लिए मंच के अध्यक्ष रमेश चन्द्र पाण्डे की अध्यक्षता मेँ सम्पन्न वेबिनार हड़ताल का एलान किया गया।
तय किया गया कि यदि सरकार ने हड़ताल के कारणो की समीक्षा करते हुए जवाबदेही तय नहीं की तो “ राज्य मेँ हड़तालों के प्रति जवाबदेही के लिए हड़ताल होगी” जिसकी तिथि की घोषणा 2 अक्तूबर को शहीदों की बरसी के दिन की जाएगी। यहां आगामी विधानसभा सत्र मेँ पुरानी पेंशन बहाली की संस्तुति पर प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजने की मांग उठी। मुख्य अतिथि उत्तराखंड सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने जवाबदेही के सवाल को लेकर एकता मंच द्वारा छेड़ी गई एकता की मुहिम से खुद को जोड़ने का एलान करते हुए कहा कि सरकार पदोन्नति के मामले निस्तारित कर दिए हैं, लेकिन अधिकारी बेवजह उन्हें लटका रहे हैं। जिससे सरकार की छवि खराब हो रही है। सरकार को कार्यवाही करनी चाहिए।
वेबिनार मेँ कहा गया कि कार्मिकों के पदोन्नति,ए0सी0पी0 समेत अन्य सेवा संबंधी रूटीन के मामलों के समयबद्ध निस्तारण हेतु सिटिजन चार्टर की तर्ज पर जवाबदेही तय हो। संवाद्शून्यता, वादाखिलाफी और तानाशाही को हड़तालों का प्रमुख कारण बताते हुए वक्ताओं ने कहा कि सरकार की मंशा यदि वास्तव मेँ उत्तराखंड से हड़ताली प्रदेश का तमगा हटाने की है तो इन कारणों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जवाबदेही तय करे ।
राज्य निगम कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय महासचिव सूर्यप्रकाश राणाकोटी ने संगठित होकर काम करने की बात कही। संचालन संयोजक सीताराम पोखरियाल ने किया। संरक्षक पंकज कांडपाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरेंद्र पाठक, महासचिव दिगंबर फूलोरिया, मानवेंद्र बर्थवाल, नरेश भट्ट, सुबोध कांडपाल, सौरभ नौटियाल, संजय पाठक, पुरन चंद, जयदीप चैहान, आलोक उनियाल, राजपाल नेगी, शंकर बिष्ट आदि ने विचार रखे।