वीरान हो गया ये शहर, अब तो कुछ कीजिए

पौड़ी रचनात्मकता के लिए समर्पित संस्था अक्षर और रामलीला कमेटी के संयुक्त तत्वावधान में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर  स्थानीय रामलीला मैदान के सभागार में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें कवियों ने सामाजिक व समसामयिक विषयों पर काव्य पाठ किया. युवा कवि मनोज रावत अंजुल ने गढवाली कविता को कुछ इस तरह बयां किया कि कविता कनै नई सार सिखण मिन, खैरी का गीत अब नि लिखण मिन . नवोदित कवयित्री डा. रितु सिंह ने कश्मीर के हालात को को कुछ इस तरह बयां किया कि -विस्थापित कश्मीरी पंडित, अब फिर से स्थापित होंगे. नियम बनेंगे और कायदे, अब फिर से निर्धारित होंगे. वीरेन्द्र खंकरियाल ने अपनी कविता में कहा कि -दहशतगर्दी, खून खराबा, अब न होगा घाटी में. जान से प्यारा मेरा तिरंगा, अब फहरेगा घाटी में.

कवि अद्वैत बहुगुणा ने वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य को समर्पित गढवाली कविता में कहा कि -घौरम गौड़ा पर फुल भ्वरीं आक्सीजन, अर तु अस्पताल रिंगणु छै. युवा कवि पंकज कुमार गीत  ने ,जुल्म तो हर हाल में जुल्म है यारों, जुल्म की इस दीवार को जरा खुद ढहाकर तो देखिए. गीतकार गणेश वीरान के गीत – क्वी जबाब द्या. को श्रोताओं ने खूब पसंद किया. कवि चंद्रशेखर जुयाल ने -पर्वतों के पार अब, हर गांव चुप खामोश है. की बेहतरीन प्रस्तुति दी. युवा कवि विजय कपरवान ने अपनी कविता में कहा कि – भीष्म यहां लाचार खड़ा है, हे राम तुम्हें आना होगा. युवा कवि नवीन दर्द ने सियासत को उकेरते हुए अपनी कविता में कहा कि – वीरान हो गया ये शहर, अब तो कुछ किजिए, कागज पर नही जनाब, जमी पर भी कुछ कीजिए.  गीतकार त्रिभुवन उनियाल ने चुनाव को समर्पित बयां करती कविता मे कहा कि -ऐगै चुनौ ऐगै, फिर ऐगे ऐंसु गौं मां .कवयित्री अंजलि अभिनव ने अपनी कविता को कुछ इस तरह बयां किया कि -बहुत ऊंचा है आकाश, मेरे विचार उससे भी ऊंचे हैं अस्तित्व का अहसास. इससे पूर्व काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए उमाचरण बड़थ्वाल ने साहित्यक गतिविधि की सराहना करते हुए कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है इसलिए रचनाकारों को समसामयिकता के साथ गम्भीर विषयों को सहजता व सरलता के साथ प्रस्तुत करना चाहिए. इस अवसर पर संरक्षक रामलीला कमेटी गौरी शंकर थपलियाल, सचिव राम सिंह रावत, अनूप देवरानी , इंद्रमोहन चमोली,  आदि उपस्थित थे. 

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