सिंगोरी न्यूजः पौड़ी/देहरादून। विजय दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून के गांधी पार्क में शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय सेना ने इस युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। यह हमारे सैनिकों की वीरता का परिणाम है। उन्होंने कहा कि हमारे जवानों के अद्धभुत पराक्रम से इस युद्ध में भारत को एक बड़ी विजय हासिल हुई थी। महाविजय दिवस पर देश के जांबाज शहीदों के शौर्य और बलिदान को याद करते सूबे के उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा कि पूरा देश उन शहीदों का कृतज्ञ है। उनके बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता । पूर्व पालिका अध्यक्ष गणेश नेगी ने कहा कि देश के सन 1971 की जंग में देश की सेना ने महाविजय हासिल की। देश के लिए अपना सर्वस्व मिटा देने वाले जांबाज शहीदों को कोटि कोटि नमन। विधायक पौड़ी मुकेश कोली ने विजय दिवस पर देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए शहीद हुए जवानों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि पूरा देश उनका ऋणी रहेगा।
पौड़ी में जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने एजेंसी चौक पौड़ी के समीप शहीद स्मारक स्थल में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि शिरकत कर भारत – पाक युद्ध 1971 में हुए वीर शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। अप्रेशन इंडो पाक के दौरान उत्तराखंड राज्य के 255 वीर जवान शहीद हुए, जिनमे से जनपद पौड़ी गढ़वाल के 38 वीर शहीद सैनिक शामिल हैं। कोविड 19 महामारी के चलते आयोजित विजय दिवस 16 दिसंबर 2020 के कार्यक्रम में दिए गए दिशा निर्देशों अनुपालन किया गया। इस अवसर पर नगर पालिकाध्यक्ष यशपाल बेनाम, उपजिलाधिकारी सदर एस एस राणा, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी मेजर करन सिह, पुलिस उपाधीक्षक एस डी नौटियाल, एच.कैप्टन एम एस बिष्ट, महावीर सिंह, सुंदर सिंह, सूबेदार महावीर, सहित अन्य अधिकारी पूर्व सैनिक एवं एनसीसी केडेट्स उपस्थित थे।गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत, कांग्रेसी नेता राजपाल सिंह बिष्ट, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केशर सिंह नेगी, प्रमुख संगठन के अध्यक्ष महेंद्र सिंह राणा, पौड़ी सतपुली से सामाजिक कार्यकर्ता सुंदर सिंह चौहानआदि ने शहीदों को नमन किया।पूरे देश के साथ द सिंगोरी टाइम्स भारतीय सेना के शौर्य व पराक्रम की परम्परा को नमन करता है। देश पर कुर्बान हुए उन जाँबाज सैनिकों की बहादुरी को वंदन जिन्होंने1971 के युद्ध में एक नई शौर्यगाथा लिखी। उनका त्याग और बलिदान सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह देश उन्हें हमेशा याद रखेगा।