सिंगोरी न्यूजः प्रदेश भर में कर्मचारी सरकार से इस बात को लेकर नाराज हो गए हैं कि मंहगाई भत्ते को रोकने से पहले कर्मचारी संगठनों से वार्ता तक नही की गई। यह एकतरफा फैसला है, इससे लाखो कर्मचारी एंव पेंशनधारी प्रभावित होंगे। बच्चों की फीस, घर का किराया, बैंक किश्त और यहां तक भरण पोषण में दिक्कत आएगी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।
उत्तराखंड फेडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रीयल सर्विसेज एसोसिएशन के मंडलीय अध्यक्ष ने कर्मचारियों की ओर यह बात कही। कहा कि सरकार मंहगाई भत्ते को रोकने के स्थान पर इसके ऐरियर का भुगतान न करती, जनवरी के ऐरियर की घोषणा जून में करती एंव जुलाई के एरियर की घोषणा दिसम्बर में करती एंव इसके बीच के महीनों मे मिलने वाला बकाया न का भुगतान न करती तो शायद काफी फंड इकट्ठा होता। और अच्छा होता कि सरकार ने जो दायित्वधारी नियुक्त किये है
जिसमें सिर्फ एक पर ही महीने का लाखों का खर्च आ रहा है। उनके खर्चों में कटौती करती। विधायक मंत्रियों की पेंशन में कटौती की जाती।
पार्टी फंड का पैसा कुछ यहां लगाया जाता। फिर भी सरकार के हर फैसले के साथ सरकारी कर्मचारी शिक्षक हैं इस महामारी मे वो ही कोरोना वारियर्स है चाहे वे डाक्टर हो, पुलिस कर्मी हो, नर्स हो या सफाईकर्मी या बाजार मे खाद्यान्न की पूर्ति करते खाद्य विभाग के कार्मिक। ऐसे हालात मे इन पर आर्थिक वार करना इनके मनोबल को गिराने जैसा है।