केंद्र व सूबे की सरकार का रवैया संवेदनहीनता की पराकाष्ठाः राजपाल

सिंगोरी न्यूजः अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य राजपाल बिष्ट ने कहा कि पहाड़ के एक युवा कमलेश भट्ट की दुबई में ह्रदयगति रुक जाने मौत हो जाती है। उसके पार्थिव शरीर को समाज सेवी रोशन रतूड़ी के प्रयासों से भारत भेजा जाता हैं। और केन्द्र सरकार उसके पार्थिव शरीर को दिल्ली हवाई अड्डे वापस लौटी देती है। हैरत यह है कि सूबे की सरकार भी तब इस पर मौन रही। यह निंदनीय है और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। अक्षम्य अपराध है।
उन्होंने कहा कि देश में जहां लाॅकडाउन का 33वां और उत्तराखंड में 36वां दिन हैं। अपवाद छोड़ दें तो देशवासियों ने लाॅकडाउन का पूरा सहयोग किया। लगातार खराब होती स्थितियां इस बात की तस्दीक कर रही हैं कि बंदिशों का यह दौर आगे भी बढ़ सकता है। इन स्थितियों में पेट की भूख और मानसिक तनाव से लोगों को कैसे बचाया जाए इस पर ध्यान दिया जरूरी है।
उन्होंने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि उत्तराखंड राज्य के अंदर ग्रीन जोन जिलों में फंसे लोग यदि राज्य के अन्दर दूसरे जिलों या प्रांतों में जाने वालों को अनुमति दी जानी चाहिए। उनके लिए जाने की व्यवस्था हो, और क्वारंटीन प्रक्रिया भी अनिवार्य हो।
उन्होंने कहा कि कोट राजस्थान से छात्रों को सरकार वापस लाई है, अच्छी बात है लेकिन अलवर राजस्थान में पिछले एक महीने से बहुत लोग फंसे हुए हैं। उनकी व्यवस्था क्यों नहीं की गई।
विदेशों में उत्तराखंड के उन युवाओं की भी बड़ी तादाद है जो इस महामारी के चलते बेरोजगार हो गए हैं। जो अपने वतन वापस लौटना चाहते हैं। उनकी समुचित व्यवस्था पर केंद्र व राज्य सरकारों को ध्यान देना चाहिए। यह सहयोग करने का समय है। सूबे की सरकार को उक्त विषयों पर ध्यान देना चाहिए।

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