सिंगोरी न्यूजः जरूरतमंदों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के उत्थान को लोक कल्याण की तमाम योजनाएं संचालित होती रही हैं। जिनका फायदा भी मिला और कुछ जगहों पर वह खानापूर्ति ही साबित हुई। लेकिन उत्तरांखड के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सस्ते अनाज के साथ जो दाल योजना चलाई है वह अन्य योजनाओं से कई अलग और व्यवहारिक दिक्कत का समाधान भी है। लोगों का कहना है कि इस व्यवहारिक परेशानी को अब तक नहीं समझा गया। त्रिवेंद्र रावत ने ही इस दर्द का समझा, और अब सस्ते राशन के साथ दाल भी मिलने लगी है।
यूं तो सस्ता राशन की यह स्कीम लंबे समय से चली आ रही है। इसमें गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को सस्ता राशन उपलब्ध कराया जाता रहा है। लेकिन इसमें जो व्यवहारिक दिक्कतें रही वह यह कि माना राशन तो सस्ती दरों पर उपलब्ध हो गया। लेकिन वह पूरा भोजन तो तभी बनेगा जब उसमें दाल को भी शामिल किया जायेगा। जो जरूरत मंद है गरीब है, वह इसी राशन से खुश था कि चलो राशन तो मिल रहा है। और फिर आर्थिक तंगहाली में जी रहे व्यक्ति के सामने यदि राशन होने के साथ दाल की दिक्कत आई होगी भी तो वह कहता किससे।
भला हो वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का जिन्होंने दाल योजना का संचालन पूरे सूबे में कराया है वह काबिले तारीफ है। अब गरीब जरूरतमंदों को सस्ते राशन के साथ ही एक किलो तुअर और एक किलो उड़द की दाल भी सस्ते दरों पर उपलब्ध हो रही है। गढ़वाल क्षेत्र के उपभोक्ता गुलाब सिंह, सुरेंद्र सिंह आदि कहते हैं कि यह एक बेहद जमीनी दिक्कत थी। जो आर्थिक रूप से कमजोर है, राशन तक लेने में सक्षम नहीं है। वह राशन का ठीक से उपयोग तभी कर पायेगा जब उसमें दाल भी शामिल होगी। दाल के दाम वैसे भी आसमान छू रहे हैं। इस नई योजना से अब गरीब परिवार भी दाल का स्वाद और पौष्टिकता को लेने लगे हैं। त्रिवेंद्र सरकार के इसके लिए सभी जरूरतमंदों की ओर से धन्यवाद की पात्र है कि अब लोगों को सस्ते राशन के साथ दाल भी सस्ते दामों में मिलने लगी है।