उच्च शिक्षा में हुए अभूतपूर्व कार्य, राष्ट्रीय स्तर पर फहराया उत्तराखंड का परचम

राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा का बेहत्तर प्रदर्शन: डाॅ. धन सिंह रावत

AISHE रिपोर्ट में उत्तराखंड ने GER में 41.5 प्रतिशत के साथ हासिल किया पांचवां पायदान

लिंग समानता के मानक में राष्ट्रीय स्तर के 0.97 स्कोर के मुकाबले उत्तराखंड को मिले 1.01 अंक

18-23 वर्षीय युवाओं के प्रति एक लाख जनसंख्या पर 38 काॅलेज के साथ उत्तराखण्ड देश में 7वें स्थान पर

देहरादून

हाल ही में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रत्येक वर्ष की भांति आॅल इंडिया सर्वे आॅन हायर एजुकेशन रिपोर्ट 2019-20 जारी की। उत्तराखंड द्वारा एआईएसएचई रिपोर्ट के विभिन्न मानकों में उल्लेखनीय प्रदर्शन पर राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड उच्च शिक्षा के सतत विकास की संकल्पना की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एआईएसएचई की रिपोर्ट इस बात को प्रमाणित करती है कि विगत वर्षों में उत्तराखंड ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई आयाम स्थापित किये हैं। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधानों के बावजूद भी प्रदेश ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर बेहत्तर प्रदर्शन किया है।

केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एआईएसएचई रिपोर्ट में सकल नामांकन अनुपात Gross Enrolment Ratio-GER) में उत्तराखंड ने राष्ट्रीय स्तर पर पांचवां स्थान प्राप्त किया है। उत्तराखंड का जीईआर राष्ट्रीय स्तर के 27.1 प्रतिशत की तुलना में 41.5 प्रतिशत है। जो कि प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। राष्ट्रीय स्तर पर एससी छात्रों का जीईआर 23.4 है तो वहीं उत्तराखंड में 31.1 है। एसटी छात्रों का जीईआर देशभर में 18.2 है तो वहीं उत्तराखंड में 45.8 फीसदी है। इसके अलावा सभी समुदाय के पुरूष छात्रों का जीईआर राष्ट्रीय स्तर पर 26.9 प्रतिशत तो वहीं उत्तराखंड में 40.7 प्रतिशत है। एससी पुरूष छात्रों का जीईआर देशभर में 22.8 है तो प्रदेश में 29.7 प्रतिशत है। ऐसे ही एसटी पुरूष छात्रों का जीईआर उत्तराखंड में 45.6 है तो राष्ट्रीय स्तर पर यह महज 18.2 फीसदी है। ऐसे ही उत्तराखंड में महिला छात्रों की जीईआर राष्ट्रीय स्तर से कहीं ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर जहां महिला छात्राओं की जीईआर 27.3 है तो राज्य में 42.3 हैं। एससी छात्राओं का राष्ट्रीय स्तर पर जीईआर 24.1 है जबकि उत्तराखंड में 32.6 है। एसटी छात्राओं का जीईआर 17.7 है वहीं उत्तराखंड में यह 46 फीसदी है। राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड के सकल नामांकन अनुपात को और बेहत्तर करने पर डाॅ रावत ने जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमने वर्ष 2030 तक जीईआर को 60 प्रतिशत से ज्यादा करने का लक्ष्य रखा और इस दिशा में संस्थागत संरचनाओं के विकास हेतु योजनाबद्ध रूप से कार्य हो रहा है।

एआईएसएचई रिपोर्ट में प्रति लाख योग्य जनसंख्या (18-23 वर्ष की आयु) पर काॅलेज की संख्या के मामले में उत्तराखण्ड पूरे देश में 7वें स्थान पर है। राज्य में प्रति लाख योग्य जनसंख्या पर 38 कालेज है। एआईएसएचई रिपोर्ट में उच्च शिक्षण संस्थानों में लिंग समानता के मानक (Gender parity Index, GPI) पर राष्ट्रीय स्तर के 0.97 के मानक की तुलना में 1.01 अंक भी राज्य में उच्च शिक्षा में महिला सहभागिता और समानता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एआईएसएचई की यह रिपोर्ट दर्शाती है कि राज्य में उच्च शिक्षा सही दिशा में आगे बढ़ रही है।

केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा देश में उच्च शिक्षा की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों का सर्वे किया गया। एआईएसएचई पोर्टल पर दर्ज आंकडों के अनुसार राज्य के 03 जिलों में 01 से 09 की संख्या में महाविद्यालय हैं, 04 जिलों में 10 से 19, 03 जिलों में 20 से 49 महाविद्यालय, 01 जिले में 50 से 99 महाविद्यालय तथा 02 जिलों में 100 से 199 महाविद्यालय हैं. राज्य में वर्तमान में सरकारी और गैर सरकारी उच्च शिक्षण संस्थाओं को मिलाकर 454 महाविद्यालय तथा 36 राज्य और निजी विश्वविद्यालय हैं. राज्य में वर्तमान में एआईएसएचई आंकडों के अनुसार 256098 विद्यार्थी विभिन्न संस्थाओं में अध्ययनरत हैं। एआईएसएचई रिपोर्ट बताती है कि राज्य में उच्च शिक्षा का समग्र विकास हुआ उत्तराखंड उच्च शिक्षा के हब के रूप में पूरे देश से युवाओं को बेहतर शिक्षा के लिए आकर्षित कर रहा है।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत कहते हैं कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखंड लगातार प्रगति कर रहा है। जिसका प्रमाण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा किये गये सर्वे है। प्रत्येक सर्वे में उत्तराखंड को उच्च शिक्षा में उत्तम पाया गया है। हाल में केन्द्रीय शिक्षा विभाग द्वारा जारी एआईएसएचई रिपोर्ट-2019-20 में उत्तराखंड का जीईआर राष्ट्रीय स्तर से काफी अधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर यह उपलब्धि राज्य के शिक्षकों, अभिभावकों और छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरक का काम करेगी।

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