गलियारों की गर्माहटः बेरोजगारी व फीस को लेकर पूर्व सीएम की सरकार को खरी खरी

सिंगोरी न्यूजः अक्सर अपने बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत ने इस बार बेरोजगारों का मसला उठाया है। सोशल मीडिया पर जारी अपने बयान में उन्होंने कहा कि शिक्षित बेरोजगार बहुत परेशान हैं पूरे रुदेश में भी और रुउत्तराखंड में तो विशेष रूप से परेशान हैं। 2017 से भर्तियां रुकी पड़ी हैं। अधियाचित पद भी गैर अधियाचित हो गये हैं। परीक्षाएं हो रही हैं किसी न किसी बहाने उनको रद्द कर दिया जा रहा है। विज्ञापन निकल रहे हैं फिर तारीख बदल दी जा रही है।वन विभाग से लेकर हर महकमे में यही हाल है।ऐसा लगता है कि जैसे लॉलीपॉप दिखाये जा रहे हैं और फिर हटा दिये जा रहे हैं। जहां जाता हूं नौजवान यही सब पूछते हैं। बीएड प्रशिक्षित और विशेष तौर पर जो शारीरिक योग्यता के साथ डिप्लोमा होल्डर्स थे वो भी परेशान हैं, योग के लोग परेशान हैं, क्योंकि योग का विस्तार करने के बजाय जो हमने एक योगा सर्किट बनाया था अल्मोड़ा में उसको समाप्त कर दिया गया है और यहां ऋषिकेश के योग सर्किट को संकुचित कर दिया गया है।
मैं क्या इनके लिये कह सकता हूं, कर सकता हूं! राज्य सरकार कुछ सुनने को तैयार नहीं है।

दूसरी तरफ एमबीबीएस के चयनित छात्र फीस को लेकर परेशान हैं। इतनी फीस रख दी है कि मेरी अपनी नातिन जो पीजी के लिए चयनित हुई, उसको केवल इसलिये अपना क्लेम छोड़ना पड़ा, क्योंकि 20-22 लाख रुपये का इंतजाम नहीं हो सका और यह कहानी मेडिकल की क्षेत्र में जाना चाह रहे अधिकांश मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग के बच्चों के सामने खड़ी हो गई है। यदि गरीब को सहारा न मिले तो वह कल्पना भी नहीं कर सकता। आयुर्वेद के बच्चे परेशान हैं, राज्य सरकार कहती है फीस घटाओ और जो आयुर्वेदिक कॉलेज के सूत्रधार हैं वो कहते हैं कि कौन है सरकार? सरकार तो हम हैं और जो कि वास्तविकता भी है। आयुर्वेदिक के क्षेत्र में जिनके प्रशिक्षण संस्थान हैं वे सब सरकारी हैं। सैंया भये कोतवाल, तो डर काहे का। सरकार कहती है फीस कम कर दी है कोर्ट कहता है फीस कम कर दी है, लेकिन बच्चों का शोषण हो रहा है। वो संघर्षरत थे। मैं नहीं चाहता किसी को अवसर मिले कि मैं कोरोना फैलाने में सहायक हो रहा हूं इसलिए मैं अकेले राजभवन के सम्मुख उपवास पर बैठना चाहता हूं और यदि मुझे गवर्नर हाउस नहीं बैठने दिया तो मेरे भोलेनाथ तो है ही हैं। कहीं न कहीं उनके मंदिर के सामने बैठ जाऊंगा। मुझे लगता है कि इस समय मैं कुछ और नहीं कर सकता अपने इन सब प्यारे बच्चों के लिये।

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