जीआईसी जगतेश्वर: पढ़ाई के लिए जान का जोखिम उठाते नौनिहाल

अरूण पंत

सिंगोरी न्यूजः श्रीनगर विधानसभा के पाबौ विकासखंड के अंतर्गत आता है राजकीय इंटर कालेज जगतेश्वर। इस स्कूल में वर्तमान में 312 नौनिहाल अध्ययनरत हैं। लेकिन हैरत है कि यहां जिस भवन पर नौनिहाल जिंदगी का ककहरा सीखते हैं वह वहां कब क्या अनहोनी हो जाए कह नहीं सकते। जर्जर हो चके भवन पर पठन पाठन की विवश्ता का यहां कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ऐसे में सवाल तो उठेंगे ही।
मौजूदा सरकार में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डा धन सिंह रावत इस क्षेत्र के विधायक हैं जहां जीआईसी जगतेश्वर लचर व्यवस्थाओं की पोल खोल रहा है। बताते चलें कि इस क्षेत्र से पूर्व मंत्री डा शिवानंद नौटियाल, पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक, कांग्रेसी नेता गणेश गोदियाल और मौजूदा सरकार में उंचा रसूक रखने वाले डा धन सिंह जैसे दिग्गजों का गृह क्षेत्र है। बताया जा रहा है कि निशंक जब सीएम थे तो उन्होंने इस स्कूल के लिए भवन स्वीकृत कराया था। एक करोड़ रूपया स्वीकृत भी किया। लेकिन तंत्र की लेटलतीफी हुई और आने वाले दिनों में कांगे्रस सत्ता में आई। विधायक गणेश गोदियाल ने इसका शिलान्यास किया। और भवन पर कुछ काम भी हुआ। लेकिन 2010 में शुरू हुई स्कूल भवन संकल्पना 2020 तक भी पूरी नहीं हो पाई। मौजूदा विधायक सरकार में नंबर टू के मंत्री हैं। सियासत में उनकी दखल गजब की बताई जाती है। और सत्ता की हनक में भी वह काबिल बताए जाते हैं।

जीआईसी जगतेश्वर की जर्जर हालत

लेकिन क्या करें। जीआईसी जगतेश्वर तो मानो दीपक तले अंधेरा हो रखा है। कार्यकर्ता सरकार व अपने मंत्री के काम गिनवाने के लिए रात दिन किए हैं। लेकिन जगतेश्वर की स्कूल कब बनेगी उन्हें भी पता नहीं। जाहिर तौर पर यह मसला चुनाव के समय जरूर उठेगा। बहरहाल बड़ी चिंता यह है कि वहां 300 से अधिक बच्चों का जीवन खतरे में पड़ा है। यह बात स्कूल जर्जरता देख पुख्ता हो जाएगी। भवन निर्माण के सरकारी विशेषज्ञ भी इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। स्कूल प्रबंधन ने विभाग में समस्या रखी तो वहां से बच्चों को अन्यत्र शिफ्ट करने को कहा गया है। लेकिन इतनी बड़ी तादाद में बच्चों को दूसरे स्कूल मेें कैसे शिफ्ट किया जाए यह भी अपने आप में समस्या है।

प्रधानाचार्य एनएस नेगी

जीआईसी जगतेश्वर के स्कूल भवन के जोखिम पर प्रधानाचार्य एनएस नेगी ने बताया कि स्कूल की हालत बहुत खराब हो रखी है। वर्तमान में 321 छात्र छात्राएं हमारी स्कूल में अध्ययनरत हैं। जर्जज भवन में खतरा तो है। नया भवन भी वर्षो से आधा अधूरा पड़ा है। काम भी बंद है। आने वाले दिनों मंे बरसात होगी तो जोखिम और बढ़ जायेगा। शिक्षक अभिभावक संघ की ओर से भी विभाग व सरकार में फरियाद की है लेकिन फिलहाल कहीं से भी समाधान नहीं निकला। विभागी अधिकारी बच्चों को अन्यत्र शिफ्ट करने को कह रहे हैं।

2010ः11 में स्कूल बिल्डिंग स्वीकृत हुई थी। कुछ पैसा रिलीज हुआ। उससे काम भी हुआ। 2015 में बढ़ी हुई दरों पर आंगणन शासन को भेजा गया। लेकिन वह नई दरों पर स्वीकृत होने के बजाए पुरानी ही दरों पर स्वीकृत हुआ। इस संबंध में शासन और नाबार्ड को भी कार्यालय की ओर से लिखा गया है। लेकिन मामला अभी वहीं लटका हुआ है। मनोज कुमार, अभियंता पेयजल निर्माण निगम पौड़ी

स्वीकृति के दस साल से अधूरा पड़ा जीआईसी जगतेश्वर का भवन

चिंता में हैं अभिभावक
विद्यालय प्रबंधन समिति की अध्यक्ष श्रीमती ऊषा देवी शिक्षक अभिभावक संघ बचन सिंह, सदस्य राजेन्द्र रौथाण ग्रामसभा बुरांसी के बीर सिंह रावत आदि लोग इस पर आक्रोश जताते हैं जो स्वाभाविक भी है। आखिर क्यों को अभिभावक अपने बच्चों को जानबूझकर खतरे के मुहं भेजेगा। जिम्मेदारी जिनकी बनती है उन्हें देखना चाहिए। चाहे वो पूर्व सीएम निशंक रहे हों या गणेशगोदियाल या फिर अब मौजूदा मंत्री डा धन सिंह रावत। जबाबदेही तो इनकी भी बनती है। नाराज अभिभावक कहते हैं कि मजबूरन उन्हें अपने बच्चों को अन्यत्र भेजने को बाध्य होना पड़ेगा। लेकिन सवाल यह है कि आने वाले दिनों फिर यहां चुनाव आयेंगे और वोट मांगने वाले भी। लेकिन सवाल वहीं कि कब तक क्षेत्र के नौनिहाल जान पर खेलते रहेंगे।

इस मामले में मंत्री डा धन सिंह रावत के पीआरओ उमेश ढौंडियाल ने बताया कि फर्नीचर वितरण में जब मंत्री स्कूल में गए तो उन्होंने स्वयं ही वहां की स्थिति पर चिंता जाहिर की और स्थितियां पूछी। फिर पता चला कि यूसी के कारण मामला अटका है। अब मंत्री ने भरोसा दिया है कि जल्द ही जीआईसी जगतेश्वर का भवन पूरा कराया जायेगा। ग्राउंड जीरो से अरूण पंत।

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