सिंगोरी न्यूजः बात 2017 में हुए विधान सभा चुनाव से ऐन पहले की है। जब सकनी बड़ी क्षेत्र में सड़क मार्ग के लिए क्षेत्र के लोगों ने स्वयं ही गैंती सब्बल फावड़ा, बेल्चा हाथ में उठाया और स्वयं ही जनशक्ति मार्ग बनाने में जुट गए। तब आम जन की इस लड़ाई में तात्कालीन जिला पंचायत सदस्य दिनेश रावत तब अग्रणी भूमिका में रहे। कांग्रेसनीत सरकार में यह सब हो रहा था तो भाजपा को तो मानो मुहं मांगी मुराद सी हाथ लग गई थी। कांग्रेसी नेताओ ंने तब इसे राजनैतिक स्टंट भी करार दिया था जो काफी हद तक सही भी था। जानकार बताते हैं कि जनशक्ति का एक बड़ा उदाहरण यहां के लोगों ने पेश किया। लेकिन हाल में एक सूचना अधिकार के जरिए मिली जानकारियों जिस अंधेरे में रोशनी डाल रही हैं वहां बहुत गड़बड़ नजर आ रही है। इसी मार्ग पर जिला पंचायत की मद से लाखों रूपया खर्च दिखाया गया है।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता करन रावत के मुताबिक यह मार्ग क्षेत्र के लोगों ने स्वयं बनाया है और जिला पंचायत ने उसी काम को नाप कर उसके बदले लाखों रूपया पंचायत की निधि से सड़क निर्माण के नाम पर हड़क कर दी है। मार्ग की लंबाई करीब 3 किमी बताई जा रही है। हालांकि इसके बाद यह सड़क आगे बढ़ी और मौजूदा समय में इस पर वाहनों की आवाजाही सुचारू बताई जा रही है।
आरटीआई एक्टिविस्ट ने जो दस्तोवज सामने रखे हैं उससे तो साफ लगता है कि इस सड़क में बड़ा गोलमाल हुआ है। कई जगहों से जांच की भी मांग उठ रही है। आरोप यह भी है कि जिला पंचायत प्रशासन की मिली भगत से ही यह खेल खेला गया जो स्वाभाविक है कि बगैर मिली भगत के भ्रष्टाचार का कोई काम तो हो ही नहीं सकता। बहरहाल लाखों के घपले का यह मामला अभी जांच के दायरे में है। इस जांच की आंच जिला पंचायत के त्रंत को तो विचलित कर रही है जिला पंचायत के तात्कालीन मुखिया और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत की ओर से अंगुलियां उठने लगी हैं।
माना जा रहा है कि इस घपले से जुड़े लोगों की आज भी सियासत में दखल है। इस के चलते इस घपले का हश्र भी पूर्व में हुए अधिकांश घपलों की तरह ना हो, कागजों की भराई और स्थितियों की लीपापोती में गोल मोल न हो। इसके लिए एक्टिविस्ट इसे यहीं नहीं छोड़ने वाले, मामले में अदालत से दखल की दरख्वास्त भी की जा रही है।