सिंगोरी न्यूजः ग्रीष्मकालीन गैरसैण घोषित करने वाली भाजपा खुद ही अपने गले में फूलमालायें डाल रही है, होली से पहले अबीर गुलाल उड़ा रही है साथ में चलने वाले एक दूसरे पर मल रहे हैं। मिठाइयां बंट रही है, गनीमत आतिशबाजी नहीं हो रही है। लेकिन राज्य आंदोलन के संघर्ष करने वाले लोगों को यह बात हैरान करने वाली लग रही है। और परेशान करने वाली भी।
राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केशर सिंह नेगी कहा कि प्रदेश की जनता गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग कर रही थी। आज भी कर रही है। इसके लिए प्रयास भी हो रहे थे, और हैं भी। लेकिन इस सरकार ने ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर भ्रम की स्थितियां पैदा कर दी हैं। यह पूरी तरह से अव्यवहारिक है। जिन्होंने आंदोलन के संघर्ष की पीड़ा को झेला है।
केशर सिंह राज्य आंदोलन के दौरान लोगों के जुनून को याद करते हैं, पौड़ी से दिल्ली तक समय समय पर कफ्र्यू, लाठी चार्ज, आम लोगों की असंख्य भीड़ पुलिस का दमन, सिर पर कफन बांध कर चलते पहाड़ के युवा, मातृशक्ति। वह कहते हैं कि राज्य बनाने के पीछे मंशा यह थी कि अपना पहाड़ी राज्य हो। यूपी के समय में पहाड़ के लोगों को हरिद्वार भी पहाड़ से हटकर लगता था। सूबे की भाजपा सरकार ने ग्रीष्मकालीन राजधानी का जो शिगूफा छोड़ा है वह सिर्फ और सिफ्र चुनावी फंडा है। कहा कि प्रमुख विपक्षी दल समेत अन्य दलों के बड़े नेता भी जब गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाए जाने के पक्ष में हैं पैरवी कर रहे हैं तो त्रिवेंद्र सरकार ने इस तरह का भ्रम फैलाने वाला फैसला क्यों लिया। ग्रीष्मकालीन गैरसैण का ना तो कोई रोडमैप तैयार किया और ना ही इस पर खर्च की स्थितियों को ही देखा गया। विकास योजनाओं के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है, कई विभागों में वेतन के लाले पड़े हुए हैं। ऐसे में राजधानी शिफ्ट करने का जो व्यय भार होगाा वह कैसे उठाया जायेगा। इस तरह का भ्रम फैलाने के बजाए गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाया जाना चाहिए, जहां तक सुगमता की बात तो गौचर में हवाई अड़डा है।, आॅलवेदर रोड का कार्य भी पूरा हो जायेगा, रेल लाइन भी जल्द जमीन पर दिखेगी। तो ऐसे में गैरसैण को सिर्फ ग्रीष्मकालीन राजधानी पर बनाकर भाजपा सरकार ने पहाड़ की जनता की भाववनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। लोगों को इस बात समझना होगा कि यह सिर्फ छल के सिवाए दूसरा कुछ नहीं है।