सिंगोरी न्यूजः महिला सशक्तिकरण दिवस यानी हर साल 8 मार्च को आने वाला दिन। इस दिवस पर मातृशक्ति को सम्मानित किया जाता है। जिन महिलाओं ने संघर्ष के बाद सफलता के शिखरों को छुआ है, खराब हालातों में हौसला बनाए रखा। उन्हें प्रेरणा के तौर पर पेश किया जाता है। ऐसा होना भी चाहिए। कभी अबला कही जाने वाली महिलाएं स्वयं के भीतर की ताकत को पहचान सकेंगी। समाज में एक अच्छा संदेश जायेगा।उत्तराखंड में भी महिला सशक्तिकरण को लेकर तमाम जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं। लेकिन यहां मातृशक्ति इस तरह के सम्मान के औचित्य पर सवाल उठा रही हैं।
इस तरह के सम्मान पर आंगनबाड़ी कार्यकत्री, सेविका संगठन की प्रदेश अध्यक्ष रेखा नेगी कहती हैं कि महिलाओं संघर्ष, जीवटता को देखते हुए सम्मन दिया जाता है। यह अच्छी बात है। लेकिन जब महिलाएं अपनी मांग को लेकर धरने पर बैठती हैं, संघर्ष करती हैं तो उनकी अनदेखी की जाती है। उनकी आवाज दबाई जाती है, उनकी बात और मांग को अनदेखा किया जाता है। 8 मार्च में महिला सशक्तिकरण दिवस पर सरकार की ओर से महिलाओं को सम्मानित किया जायेगा। इसमें आंगनबाड़ी से जुड़ी महिलाएं भी शामिल होंगी। लेकिन बेहतर होता कि हमारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को उनके मानदेय में बढ़ोतरी कर सम्मान दिया जाता। अध्यक्ष ने कहा कि उनको सम्मान के लिए बुलाकर हर बार वेवकूफ बनाया जाता है। जब महिलाओं की मांगों की अनदेखी की जानी है तो फिर उन्हें कैसा सम्मान। वह इस तरह से दिए जाने वाले सम्मान के औचित्य पर ही सवाल खड़ा करती हैं।
उन्होंने कहा कि बीते दो माह से भी अधिक समय तक आंगनबाड़ी की मातृशक्ति ने परेड ग्राउंड में भूखे प्यासे रहकर, अपना घर बार छोड़कर संघर्ष किया। कभी कड़ी धूप ने झुलसाया तो कभी बारिश ने परेशान किया। सरकार के हर प्रभावशाली की चैखट पर फरियाद लगाई लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। बाद में सरकार ने यह कहकर आंदोनल स्थगित करा दिया कि 10 मार्च तक हर हाल में आंगनबाड़ी बहनों के मांगों पर विचार के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी और मानदेय बढ़ोतरी की दिशा में कार्य होगा। लेेिकन हैरानी है कि आंदोलनकारियों को दी गई समयावधि समाप्त होने को है लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। कहा कि सरकार ने यदि उनके साथ फिर से छलावा किया तो संगठन का बैनर थामे सभी महिलाएं फिर से सड़कों पर उतर जायेंगी।