सिंगोरी न्यूजः बीस नहीं ठीक चालीस बर्षो बाद। जी हां आपने सही पढ़ा। ठीक चालीस साल बाद खोला चौरी की पावन धरती पर जय श्रीराम के नारे गूंजे। भगवान श्रीराम की आरती हुई। माता सीता, सुमित्रा नंदन के जयकारों के साथ ही सीता माता की धरती सितोनस्यूं के शीर्ष पर रामयज्ञ का शुभारंभ हुआ। महाकाल सेना से जुड़े युवाओं ने इस यज्ञ का बीड़ा उठाया है। चार दशकों बाद स्थानीय ग्रामीणों को अपने राम ओर जगत जननी सीता माता के दर्शकों का अवसर मिल रहा है तो इसे कौन छोड़ चाहेगा। शुरूआती दिवस पर बाकायदा सिर पर कलश लिए मातृशक्ति ने अपार आस्था का पदर्शन किया। भगवान की आरती के साथ रामलीला की शुरूआत हुई।
सिर पर चमचमाते मुकुट, राजशी वस्त्र, कांधे पर धनुष, एक हाथ में तीर और आंखों शीतलता लिए भगवान राम का अवतार जैसे ही सीता माता की धरती के शीर्ष पर हुआ। पूरा क्षेत्र जयकारों से गूंज उठा। हर कोई गदगद भाव से अपने प्रभु राम को निहार रहा था, मानांे आज चालीस सालों की छटपटाहट का अंत हो गया हो। जिसने भी सुना आस्था के वशीभूत दर्शनों के लिए बेचैन हो उठा। मंच पर फूल बरसने लगे। सुख समृद्धि के साथ ही सौहार्द की मिन्नतें लिए सैकड़ों की तादाद में शीष प्रभु राम के दरवार में दण्डवत हो गए।
इन चार दशकों में यह आयोजन क्यों संभव नहीं हो सका इस बारे में तो कहा नहीं जा सकता लेकिन महाकाल सेना के साथ ही स्थानीय लोगों के लिए यह सिर्फ रामलीला नहीं बल्कि एक यज्ञ सा लग रहा है। हर कोई पूरी तनमयता से सेवा में जुटा हुआ है। प्रथम दिवस पर विकास खंड कोट की उप ज्येष्ठ प्रमुख प्रमिला नेगी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। उन्होंने भगवान राम के साथ ही अपने बड़ों के आशीर्वाद को सिरोधार्य करते हुए यज्ञ में सहयोग का भरोसा दिया। साथ ही सभी सहयोगियों की सराहना की।
गांधी सिंह नेगी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य तामेश्वर आर्यग्राम सभा खोला की पंचायत अनिता रावत,ग्राम प्रधान टुंगर मंजू देबी, ग्राम प्रधान पोखरी राहुल कुमार समेत बड़ी तादाद में रामभक्त मौजूद रहे। कारवां बढ़ता गया और लोग जुड़ते गए।
रामलीला में मुख्य अतिथि की सूची में ब्लाक प्रमुख कोट पूर्णिमा नेगी, पूर्व ब्लाक प्रमुख चांदनी रावत मंडल अध्यक्ष भाजपा कोट ब्लॉक अनिल गुसांई, जगमोहन रौथाण, सामाजिक कार्यकर्ता नीलम जुयाल, जीवन सिंह रावत, तारा सिंह रावत, शशीबल्लभ, दीपक शाह, विजय रतूड़ी समेत सैकड़ों स्थानीय लोग इस महायज्ञ के सहयोगियों की सूची में शामिल हैं। और शामिल हैं आसपास के गांवों का वह आमजन, मातृशक्ति जो आ तो प्रभु राम के दर्शन कर पुण्य के लिए है, वहीं उनकी मौजूदगी आयोजकों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। मंचन में अभी लक्ष्मण शक्ति नहीं लगी। लेकिन महाकाल की कृपा से आस्था का सैलाबा आयोजकों के उत्साह को हर रोज संजीवनी दे रहा है। महाकाल सेना के प्रमोद नेगी कहते हैं कि चालीस वर्षों बाद यह आयोजन किया जा रहा है। महाकाल सेना के प्रयासों चार दशकों को बाद यह खामोशी टूटी है। पूरा क्षेत्र भक्तिमय है। सभी लोगों को बधाइयां।