सिंगोरी न्यूजः मंडल मुख्यालय पौड़ी से करीब सात किमी दूर पौड़ी-देवप्रयाग मार्ग पर खाण्डयूसैंण से बाईं ओर एक सड़क मार्ग है जो कोट ब्लाक के गांवों की एक हिसाब से लाइफ लाइन है। इस सड़क पर कुछ दूर चलकर कोट स्थित फुटबाॅल की उस नर्सरी के दीदार होते हैं जहां से निकली प्रतिभाओं ने देश विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। वाह! कुदरत ने भी कितने तबीयत से बनाया है इसे। कोट ब्लाक कार्यालय से पहले मैदान के लिए जाने वाली कच्ची सड़क पर एक युवा चूना डालकर सफेद लाइनें बना रहा है। सड़क में धूल है लेकिन फिर भी, वह अपने काम में कोई कमी नहीं छोड़ेगा। तूरी तनमयता के साथ। दोनों ओर रंगबिरंगे झंडे माहौल को रंगीन बना रहे हैं। हर कोई अपने को मिली जिम्मेदारी को निभाने में व्यस्त है। चूना डालने वाले युवा ने बताया कि यह उनके गांव क्षेत्र का आयोजन है मेरी तरह हर कोई कुछ न कुछ सहयोग कर रहा है। यानी आयोजन में आम सहभागिता कैसे होती है इसका जीता जागता उदाहरण है कोट महोत्सव। शायद इसकी भव्यता और निरंतरता की एक बड़ी वजह यह भी है।
ग्रामीण क्षेत्रों ंमें अनवरत चलने वाले एकलौते महोत्सव का चमचमाता ताज कोट महोत्सव के मस्तक पर है। यह ताज समाज हित की उस मानसिकता के लोगों की शोभा बढ़ा रहा है जिन्होंने इसकी नींव रखी, और इसकी निरंतरता को बनाए रखा। जी हां कोट महोत्सव की एक मात्र ऐसा उत्सव है जिसे लोग अपने दम पर आयोजित करते आए हैं और उन्होंने तमाम अवरोधों के बाद भी इसकी निरंतरता को बाधित नहीं होने दिया। और सबसे बड़ी बात यह कि इस महायज्ञ की बागडोर पहले भी एक महिला के हाथ में रही और आज भी।
वर्ष 2010 में कोट महोत्सव की शुरूआत हुई। अगले बरस इस आयोजन का एक दशक पूरा हो जाएगा। यह महोत्सव तब शुरू हुआ जब इस तरह के आयोजन सिर्फ शहरों तक ही सीमित थे। शहरों पर सरकारी पैसा आयोजनों पर खर्च होता है। गांवों की ओर जो स्थितियां आज हैं वह पहले से ही थी। यानी यहां का कोई पूछने वाला नहीं होता। बावजूद इसके कोट क्षेत्र के लोगों ने एक सराहनीय पहल की। और उस पहल की मुखिया रहीं तात्कालीन ब्लाक प्रमुख चांदनी रावत।
गजब की शुरूआत हुई। भव्य शामियाने से लेकर प्रदेश के नामी कलाकारों की प्रस्तुतियां कोट महोत्सव के मंच पर हुई। यहां लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, प्रीतम भत्र्वाण से लेकर कई बड़े कलाकार आए। आयोजन जब भव्य स्तर पर होने लगा तो क्या सीएम और डीएम सब की मौजूदगी यहां होने लगी। स्थानीय लोगों के प्रयासों से यह हो रहा था तो जिससे जो बन पड़ा उसने सहयोग किया। आयोजन समिति के लोगों ने ब्लाक प्रमुख चांदनी रावत से लेकर जन प्रतिनिधि सुरेंद्र ंिसह रावत, आलोक चारू, तामेश्वर आर्य, धर्मवीर नेगी, वीरेंद्र नयाल, नवल किशोर, कुलवीर रावत, सुनील लिंगवाल, प्रमोद नेगी, बिट्टू प्रधान समेत तमाम स्थानीय लोगों के प्रयासों को इसकी भव्यता और निरंतरता का श्रेय जाता है। शहरों के आयोजनों की तरह यहां न सरकारी मशीनरी का सहयोग रहता है और ना ही निकाय के कांिरंदे यहां मौजूद होते हैं। यहां रास्ते में यदि लैंड मार्क के लिए यदि चूना भी डालना है तो वह भी ग्रामीणों को ही करना पड़ता है।
यूं तो कोट महोत्सव की तर्ज पर इसी दौरान अन्य ग्रामीण परिवेशों में भी उत्सव का चलन सा हुआ। लेकिन उसका स्तर और निरंतरता ऐसे नहीं रही जिससे उसकी कोट महोत्सव से तुलना की जा सके। ग्रामीण क्षेत्र के किसी उत्सव मंे हजारों की तादाद मंे दर्शकों का एकत्र होना किसी ग्रामीण परिवेश के लिए अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। और संयोग देखिए। शुरूआत से लेकर अभी तक इस उत्सव की कमान मातृशक्ति के ही हाथ में रही। पूर्व में चांदनी रावत ने आयोजन को संभाला और वर्तमान में कोट ब्लाक की प्रमुख पूर्णिमा नेगी इस महोत्सव की मुखिया हैं। उनकी सहयोगी ज्येष्ठ प्रमुख प्रमिला नेगी, उपाध्यक्ष जिला पंचायत रचना बुटोला समेत अन्य मातृशक्ति भी उनके साथ खड़ी हैं। हर बार की तरह समिति की टीम पूरे मनोयोग से उत्सव की सफलता में जुटी है।
कोट महोत्सव की विहंगमता पर एक नजर
पत्रकारिता के पेश में मुझे कई जगहों पर महोत्सव समेत अन्य कार्यक्रमों में जाने का अवसर मिलते रहते हैं। कई राजनैतिक व सामाजिक संगठनों की कार्यप्रणाली से भी हम रूबरू हुए। लेकिन जिस तरह का समन्वय व आगंतुकों के प्रति अदब व सम्मान का भाव कोट क्षेत्र में दिखा। अन्य जगहों पर वह अपेक्षाकृत देखने को नहीं मिला। और यही तालमेल व सामाजिकता का भाव उनकी सफलता का मूल मंत्र है।