सिंगोरी न्यूजः पूरे देश में तब एक बड़ा संदेश गया जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में एक पत्र जारी अपने परिजनों से एक भावुक अपील की, कि वह लाॅकडाउन की बाध्यताओं के चलते पूर्वाश्रम पिता के अंतिम दर्शनों के लिए नहीं आ पाएंगे। साथ ही उन्होंने यह भी अपील की अंतिम संस्कार में ज्यादा लोग शामिल ना हों। लाॅकडाउन का खासतौर पर ध्यान रखा जाए। लेकिन क्या करें योगी के पिता के अंतिम संस्कार में तो कई दर्जन लोग उमड़ उठे। सीधा मतलब है कि योगी के समक्ष अपने नंबर बढ़ाने के लालच से कई नेता उमड़ पड़े। और लाॅकडाउन के मानकों की सरेआम धज्जियां उड़ती रही। बड़ी बात यह है कि स्वयं इस प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी यहां मौजूद रहे।
प्रशासन ने लाॅकडाउन के मानकों में जो व्यवस्थाएं दी हैं उनमें साफ है कि यदि कहीं किसी व्यक्ति की मौत होती है तो अंतिम संस्कार में सिर्फ बीस लोगों को ही शामिल होने की अनुमति होगी। ठीक भी है। यदि सोशल डिसटेंसिंग का ख्याल रखना है तो यह जरूरी भी है। यूपी के सीएम अपनी जनता के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए देश ही नहीं पूरी दुनिया का बड़ा संदेश दिया। लेकिन इस प्रदेश के सियायत के खिलाड़ी तो मानो कतई कच्चे निकले। और वह अपनी भावनाओं को नहीं थाम पाए।
योग की दुनिया का चर्चित नाम बाबा रामदेव भी यहां मौजूद रहे तो सूबे का वह नेता यहां अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचा जिस इस प्रदेश में सियासत थोड़ा बहुत भी चलती है। बताया जा रहा है कि करीब चार दर्जन से अधिक लोग योगी के पिता की अंत्येष्ठि में शामिल हुए। यहां सवाल उठता है कि यहां प्रशासन ने उन मानकों को फाॅलो क्यों नहीं कराया जो आम लोगों से डंडे के जोर पर कराए जा रहे हैं। क्या यहंा के नेताओं को इस बात का भी इल्म नहीं कि यदि वह स्वयं ही मानकों को सार्वजनिक रूप से तार तार करेंगे तो दूसरों से कैसे करा पायेंगे। यह बात उन्हें सोचनी चाहिए थी। लेकिन नहीं।
शायद पार्टी में योगी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए परिक्रमा के इस मौके पर यहां के नेताओं ने एक अवसर की तरह देखा। और सरेआम मानकों की धज्जियां उड़ाने के साक्षी ही नहीं बने बल्कि उसका हिस्सा भी बने।