पहाड़़ सी जिंदगी में टूटे दुखों के पहाड़, घने अंधेरे में खुद तलाशते भावशून्य चेहरे

सिंगोरी न्यूजः कभी कभी नियति भी ऐसा खेल खेलती है कि जब संभलने की संभावनाएं कहीं भी कमतर दिखती हैं। ऐसे ही हालातों से गुजर रही हैं कुण्डिल गांव की श्रीमती देवी और चैता देवी। पतियों के के असमय निधन ने उन्हें बुरी तरह से तोड़ दिया है। पहले ही जैसे तैसे आजीविका चलती थी, अब तो परिवार के समक्ष निवाले का संकट है। सरकार की ओर संचालित होने वाली योजनाओं के बारे में वह नहीं जानती। बच्चे कैसे पलेंगे बस एक ही चिंता उनके भावशून्य चेहरे पर है जो दिखती नहीं है।
पौड़ी जनपद के थलीसैण विधान सभा क्षेत्र के कुण्डिल गांव में श्रीमती देवी और चैता देवी के परिवार के लिए वर्ष 2020 बहुत अपशुकन रहा। ये दोनों देवरानी जेठानी हैं। इसी साल फरवरी में श्रीमती देवी के पति कुंदन लाल का स्वर्गवास हो गया। तो श्रीमती का तो मानो पूरा संसार ही उजड़ गया। उसके दो नाबालिग बच्चे हैं। इस झटके के बाद जिंदगी ने पटरी पर आने की कोशिश की। छोटे कृष्णा का भी भरोसा था। लेकिन बीते जुलाई माह में कृष्णा की भी आकस्मात मौत हो गई। जिन स्थितियों से श्रीमती गुजर रही थी चैता देवी के सामने भी वहीं संकट आ गया। परिवार के दोनों मुखिया बीत चार पांच महीनों के अंतराल में ही चल बसे। चैता देवी के सामने भी अब चार बच्चों के लालन पालन की चुनौती है। पहले ही जिंदगी फाकों में थी। अब तो दुखों पहाड़ ही सामने खड़े हो गए।
हौसला सिर्फ अपनी हाडतोड़ मेहनत पर है बाकी दूसरे सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। उनका कहना है कि इन हादसों से तो कुछ समझ में नहीं आ रहा कि क्या किया जाए। पहले ही हालात सही होते तो उनका इलाज ही सही ढंग से हो जाता। लेकिन वह भी नहीं हो पाया। सामाजिक कार्यकर्ता अनूप सिंह ने इस परिवार की मदद के लिए क्षेत्रीय विधायक व उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत से भी गुहार लगाई है। अनूप बताते हैं कि इस मजबूर परिवार के लिए जो भी संभव होगा प्रयास किए जायंेगे। सरकार को भी इस बेवशी में मदद करनी चाहिए।

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