सिंगोरी न्यूजः लाॅकडाउन के दौरान हर कोई जरूरतमंदों की मदद कर रहा है। कुछ दिल से कर रहे हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो इसे चेहरा चमकाने का सुअवसर के तौर पर देख रहे हैं। लेकिन जो भी हो मदद होनी चाहिए। किन्तु ध्यान रहे वह किसी भी सूरत में वंचित नहीं रहनाच चाहिए वास्तव में जो मदद का पात्र हो। ऐसे ही जरूरतमंदों की तलाश कर उनकी मदद करते हैं पौड़ी के कांता प्रसाद उर्फ कांता भाई। उनके दिल में सड़कों पर भटकने वाले असहाय भी रहते हैं तो गोवंश व स्ट्रीट डाॅग्स का भी वह बखूबी ध्यान रखते हैं। और कोरोना वाॅरियर तो उनके हीरो हैं।
जब से कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए देश में लाॅकडाउन श्ुारू हुआ। बाजार स्कूल, दफतर सब बद हुए तब से कांता भाई जैसे मानव सेवियों को तो मानो पार्ट टाइम काम मिल गया है। बता दें कि कांता भाई कि पौड़ी बस स्टेशन पर छोटी सी दुकान है। और सुबह होते ही दुकान के लिए घर निकलना उनका रूटीन है। लाॅकडाउन में बाजार तो बंद है लेकिन कांता भाई की सेवाएं और रूटीन अपनी जगह कायम है।
अधिकतर बाजारों में उन लोगों की अच्छी खासी तादाद होती है जो या तो मानसिक रूप से बीमार होते हैं या शारीरिक रूप से अक्षम। बाजार के चौराहे चौपाटी, कहीं अंधेरी सी गली इन लोगों के आशियाने होते हैं। कांता भाई इस लाॅकडाउन में सेवा में जुटे हैं। वह बेसहारा लोगों के लिए भी भोजन पानी की व्यवस्था करते हैं तो कोरोना योद्धाओं का हौसला बढ़ाते हैं। यानी जहां जो मिल जाए। हालांकि उनकी प्राथमिकता में वही बेसहारा लोग। बाजार नहीं चलता है तो बाजारों में घूमने वाले गोवंश व स्टीट डाॅग्स की स्थितियां भी पूरी तरह से असंतुलित हो गई हैं। उनका भी ध्यान रखा जाता है।
कांता भाई कहते हैं कि किसी जरूरतमंद बेसहारा, असहाय की मदद हो जाए तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती हैं। सुखद यह है कि हर कोई अपने अपने हिसाब से लोक सेवा के इस काम में हाथ बंटा रहा है।
बता दंे कि कांता भाई दोनों पांवों से महरूम हैं। पहले व्हील चेयर पर चलते थे, लेकिन बुलंद हौसलों के साथ हाड़ तोड़ मेहनत ने रंग दिखाया तो अब स्कूटी से चलते हैं। असहाय और बेसहारा जीवन के हालातों पर भी उनका बहुत करीबी और गहरा अध्ययन है। कांता भाई की दिलेरी और जन कल्याण के संस्कार ही रहे जो उनके जीवन में घुप्प अंधेरे के बाद रोशनी का सूर्य उदय हुआ। और वह रोशनी आज समाज भी में फैल रही है। वह कहते हैं कि आदमी को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, चाहे कुछ भी क्यों ना हो जाए। कांता भाई के इस हौसले को सलाम।