पौड़ी जिला ‘कांग्रेस’ में द्वंद, डबल मुनाफे में ‘भाजपा’

सिंगोरी न्यूजः अंतद्र्वंद से जूझ रही पौड़ी जिला कांग्रेस का घमासान गत दिवस सोशल मीडिया आकर सार्वजनिक हो गया। कार्यकर्ताओं ने पार्टी जिलाध्यक्ष पर सक्रिय कार्यकर्ताओं का मनौबल तोड़ने ेका आरोप लगाया। वहीं अध्यक्ष ने युवा कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं को जिला कांग्रेस के ग्रुप से हटा दिया। इसी से बात और बिगड़ गई और कार्यकर्ताओं ने अध्यक्ष को तत्काल हटाए जाने की मांग भी सोशल मीडिया व अपने गुं्रप के जरिए उठा दी। खुद अस्तित्व के लिए जूझ रही कांग्रेस में उपजे इस घमासान ने भाजपा के दोनों हाथों में लड्डू थमा दिए हैं।
विधान सभा चुनाव से पहले से ही कांग्रेस पहले की अपेक्षा सूबे में काफी नर्वस दिखाई पड़ रही है। प्रदेश में कांगे्रस संगठन की बात करें तो किशोर उपाध्याय के बाद हुए नये चयन में प्रीतम सिंह के कंधों पर जिम्मेदारी आ गईं। उनके कार्यकाल को भी तकरीबन तीन साल होने को हैं, लेकिन उदासीनता आलम यह है कि प्रदेश में तो नई व्यवस्था हो गई लेकिन अधिकांश जनपदों में संगठन का जिम्मा आज भी उन्हीं पर जो तब सौंपे गए थे जब कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में थी। जिला स्तर पर कांग्रेस संगठन के प्रति इतना उदासीन क्यों इसे लेकर स्वयं पार्टी के कार्यकर्ता भी हैरान हैं। कुछ समय पूर्व पौड़ी में कार्यकाल पूरा होने पर जिले की जिम्मेदारी दूसरे को सौंपने की कवायद हुई भी। लेकिन बताया जा रहा कि आपसी द्वंद के कारण यह कवायद परवान नहीं चढ़ सकी।


जानकारों की राय में एक समय में पूरे देश में एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस प्रदेश स्तर पर भी आपसी गुटबाजी के चलते निराशाओं का सामना कर रही है। ऐसे में संगठन की मजबूती के लिए जनपदों पर ध्यान दिया जायेगा इसकी बहुत अधिक उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए। यानी कुल मिलाकर गाड़ी उसी ढर्रे पर चल रही है जिस पर कांग्रेस की सत्ता में बगावत से पहले थी।
पौड़ी जनपद की बात करें तो यहां कांग्रेस संगठन की स्थिति को अच्छा नहीं कहा जायेगा। पार्टी व संगठन के कार्यक्रमों में आपसी खटास यहां गाहे बगाहे दिख ही जाती है। ऐसा लगता है कि प्रदेश के मुखिया भी अभी संगठन और कार्यकर्ताओं के बीच ही सार्वभौमिकता हासिल नहीं कर पाए हैं, अन्यथा वह जिलों पर जरूर अपने नजरें इनायत करते। बहरहाल गत दिवस तो कार्यकर्ताओं और जिलाध्यक्ष की बीच सोशल मीडिया के जरिए सीधी झड़प सी हो गई। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि युवा कांग्रेस के कुछ लोग सक्रियता से पार्टी संगठन की मजबूती के लिए काम कर रहे हैं। सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ अक्सर सड़कों पर संघर्ष करते हैं। पार्टी संगठन उन्हीं की उपेक्षा कर रहा है। जिलाध्यक्ष हटाओ कांग्रेस बचाओ के श्लोगन भी सोशल मीडिया पर खूब चले। उनका कहना है कि जिलाध्यक्ष कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने का प्रयास करते हैं। सक्र्रिय कार्यकर्ताओं को जिला कांग्रेस कमेटी के वाॅट्सअप गु्रप तक से हटाया दिया है। ऐसे मंे देखना है कि प्रदेश संगठन जिले के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के बीच चल रही खटास को कैसे मैनेज करती है। और ऐसा ही चलता रहा तो सच्चाई और सपनों के बूते पूरे आत्मविश्वास के साथ चल रही भाजपा के लिए कांग्रेस की यह आपसी खटास और द्वंद बोनस ही कहा जायेगा।

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