तनाव के बीच लेह पहुंचे पीएम मोदी, कहा, विश्व ने देखा हमारे वीरों का पराक्रम

सिंगोरी न्यूजः सेना का मनोबल बढ़ाने अचानक लेह पहुंचे पीएम ने कहा- मैं मेरे सामने महिला फौजियों को भी देख रहा हूं। युद्ध के मैदान में यह दृश्य प्रेरणा देता है। राष्ट्र कवि रामधानी दिनकर जी ने लिखा था, श्श्जिनके सिंहनाद से सहमी, धरती रही अभी तक डोल, कलम आज उनकी जय बोल। मैं अपनी वाणी से आपकी जय बोलता हूं। आपका अभिनंदन करता हूं। मैं गलवान घाटी में शहीद हुए अपने वीर जवानों को भी पुनरू श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। इनमें पूरब-पश्चिम, दक्षिण से देश के हर कोने से वीर अपना शौर्य दिखाते हैं। उनके पराक्रम उनके सिंहनाद से धरती अब भी उनका जयकारा कर रही है। आज हर देशवासी का सिर आपके सामने अपने देश के वीर सैनिकों के सामने आदरपूर्वक नमन करता है। आज हर भारतीय की छाती आपकी वीरता और पराक्रम से फूली हुई है।
सिंधु के आशीर्वाद से यह धरती पुण्य हुई है। वीर सपूतों के शौर्य और पराक्रम की गाथाओं को यह धरती समेटे हुए है। लेह लद्दाख से लेकर करगिल और सियाचिन तक, रेजांगला की बर्फीली चोटियों से गलवान नदी की ठंडी धारा तक हर चोटी, हर कंकड पत्थर भारतीय सैनिकों की पराक्रम की गवाही देते हैं। 14 कोर की जाबांजी के किस्से तो हर तरफ है। दुनिया ने आपका अदम्य साहस देखा है, जाना है, आपकी शौर्यगाथाएं घर-घर गूंज रही है। भारत माता के दुश्मनों ने आपकी फायर और आपकी फ्यूरी भी देखी है। लद्दाख का यह पूरा हिस्सा यह भारत का मस्तक 130 करोड़ देशवासियों के मान सम्मान का प्रतीक है। यह भूमि भारत के लिए सर्वस्व त्याग करने के लिए तैयार रहने वालों की राष्ट्रभक्तों की धरती है।
पीएम ने कहा आज लद्दाख के लोग हर स्तर पर चाहे सेना हो या सामान्य नागरिक के कर्तव्य हों, राष्ट्र को सशक्त करने के लिए अद्भुत योगदान दे रहे हैं।

भारत आज जल, थल, नभ और अंतरिक्ष तक अगर अपनी ताकत बढ़ा रहा है। भारत आज आधुनिक अस्त्र शस्त्र का निर्माण कर रहा है, दुनिया की आधुनिक से आधुनिक तकनीक भारत की सेना के लिए ला रहें हैं, तो उसके पीछे की भावना भी यही है। विश्व युद्ध हो या फिर शांति की बात, जब भी जरुरत पड़ी है तो विश्व ने हमारे वीरों का पराक्रम भी देखा है और विश्व शांति के उनके प्रयासों को महसूस भी किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब मैं राष्ट्र रक्षा के किसी निर्णय के बार में सोचता हूं तो मैं सबसे पहले दो माताओं के बारे में सोचता हूं। पहली- हम सभी की भारत माता। दूसरी- वे वीर माताएं जिन्होंने आप जैसे पराक्रमी योद्धाओं को जन्म दिया है। मेरे निर्णय की कसौटी यही है। साभार

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