राठ बोला, धनदा जैसा कोई नहीं

राठ बोला, धनदा जैसा कोई नहीं

राठः रिस्ती, घुलेख, कुठखाल, कुचोली, रिखोली, रिस्ती, कठ्युड़, जाजरी, किरसाल, चंगीन, सौंठी, उफराई, सौंठ, खरकासारी, चौंरा, मरखोला, जाख, बांजकोट के अलावा अन्य भी कई गांव हैं जिनके बारे में शहरी क्षेत्रों की चकाचौंध में रहने वाले तो शायद जानते होंगे लेकिन ये गांव उस क्षेत्र को पहचान देते हैं जिसे राठ कहा जाता है।

राठ यानी कैबिनेट मंत्री डा धन सिंह रावत का अपना चुनाव क्षेत्र और अपना गृहक्षेत्र। वह इसी क्षेत्र के एक गांव नौगांव से आते हैं। और इन दिनों इन्हीं गांवों के भ्रमण पर हैं। उक्त में से अधिकांश गांव शासन की सूची में भी दुर्गम की श्रेणी में आते हैं, क्योंकि यहां की विकटता इस कदर है कि बुनियादी सुविधाओं की आसान पहुंच भी यहां सामान्यतया अन्य जगहों से मुश्किल है।

सामाजिक और राजनैतिक विशलेषक भी इस बात को लेकर डा धन सिंह रावत की सराहना करते हैं कि प्रदेश के कैबिनेट मंत्री होने और पार्टी व संगठन की जिम्मेदारियों की तमाम व्यस्तताओं के बाद भी निरंतर ही उनकी सक्रियता राठ के दुर्गम गांवों तक बनी रहती है।
गांवों के भ्रमण के दौरान सरकारी स्तर पर नियत कार्यक्रमों के अलावा गांव के लोगों से उनका जुड़ाव और लगाव एक अपनेपन का एहसास कराता है। बिवांइयों से चटकी एड़ियों के साथ मटमैले लिबास में सिमटे मेहनतकश ग्रामीणों से उनकी मुलाकात बहुत ही संजीदा होती है। राजनीति के कई मंचों पर समाज के आखिरी छोर पर खड़े जिस व्यक्ति की बात होती है तो शायद वह उपर लिखित जैसे गांवों मंे रहने वाले वासिंदे ही आखिरी छोर के पैरामीटर पर फिट बैठते हैं। अपने नेता को अपने बीच पाकर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में उत्साह का संचार डा धन सिंह रावत के भ्रमण के दौरान देखने को मिलता है।

विकास योजनाओं की बात करें तो इस दौरान मंत्री ने पेयजल, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा समेत सड़कों के डामरीकरण, स्वरोजगार की योजनाओं समेत कई योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किए। लेकिन एक बात जो उनके भ्रमण में अक्सर प्रमुखता पाती है वह गांव वालों से उनकी क्षेत्रीय भाषा और लय में बातचीत। तब कार्यक्रम की सार्थकता व संजीदगी और बढ़ जाती है जब डा धन सिंह रावत सबसे फेटहाल ग्रामीण को पास बुलाते हैं और गले लगाकर उसका सम्मान करते हैं। सम्मान के इस माहौल में आखिरी छोर का व्यक्ति भी उन्हें अपने ही बीच का पाता है। वह हर किसी को खुशी के अवसरों की बधाई देते हैं तो दुखी परिवारों के बीच भी अपनी संवेदनाएं लेकर हर हाल में पहुंचते हैं।

इन गांवों में कोई उनसे गले लगकर आयुष्मान कार्ड से मिले निशुल्क उपचार के लिए आभार जताता तो कोई गैस कनेक्शन, मुफ्त राशन के लिए, तो कोई बुढ़ापे में मिलने वाली पेंशन के लिए उन्हें गदगद भाव से दुआएं देता है।
कई जगहों पर जब डा धन सिंह रावत विकास योजनाओं के लोकार्पण का रिबन भी ग्रामीणों से ही कटवाते हैं तो उनकी सहृदयता का बखान ग्रामीणों के बंद होठों से भी खुलकर होने लगता है। बुजुर्ग माताएं उनमें एक काबिल संस्कारी बेटे की तरह सहारा व सम्मान पाती हैं तो वह भावनात्मक माहौल शब्दों की सीमाएं लांघ कर देता है।

प्राइमरी स्कूलों के नौनिहालों को जब मंत्री अपनी गाड़ी बैठने को कहते हैं तो खुले आसमान में परिंदों की चहचहाहट जैसा सुकून आसपास भी महसूस किया जाता है।

यहां ग्रामीण बताते हैं कि प्रदेश में बड़े ओहदे पर होने के बावजूद भी डा धन सिंह रावत बहुत साधारण व्यक्तित्व को धनी हैं। क्षेत्र में उनकी जिस तरह की पहचान और आम जन से उनका लगाव है उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। लोग कहते हैं कि चुनाव के दौरान जो उनके साथ नहीं भी थे उनके प्रति धनदा किसी प्रकार का द्वेष नहीं रखते। यह उनकी राजनैतिक परिपक्वता को दर्शाता है।

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