डॉ. आस्था अग्रवाल, शिशु रोग विशेषज्ञ, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल देहरादून
हरिद्वार: स्तनपान एक प्राकृतिक और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो नवजात शिशुओं के स्वस्थ विकास और वृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है। एक शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में, मैं आपको स्तनपान के फायदों और इसके सही तरीके के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहूंगी। स्तनपान का पहला और सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह शिशु को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। मां के दूध में विटामिन, खनिज, प्रोटीन और एंटीबॉडीज होते हैं जो शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं और उसे विभिन्न बीमारियों से बचाते हैं। इसके अलावा, मां का दूध शिशु के पाचन तंत्र के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है और उसे यह आसानी से पच जाता है। स्तनपान शिशु और मां दोनों के लिए लाभकारी है। शिशु को मां के साथ शारीरिक संपर्क और सुरक्षा का अनुभव होता है, जिससे उसकी भावनात्मक वृद्धि होती है।
वहीं, स्तनपान मां के लिए भी लाभकारी होता है क्योंकि यह उसे प्रसव के बाद जल्दी स्वस्थ होने में मदद करता है और भविष्य में होने वाले कुछ रोगों के जोखिम को कम करता है। स्तनपान की सही तकनीक का पालन करना भी महत्वपूर्ण है। जब आप शिशु को स्तनपान कराएं, तो यह सुनिश्चित करें कि शिशु का मुंह पूरी तरह से निप्पल और एरियोला (निप्पल के आसपास का गहरा हिस्सा) को ढक रहा हो। इससे शिशु को सही ढंग से दूध पीने में मदद मिलती है और मां को दर्द या छाले की समस्या नहीं होती। स्तनपान की अवधि और आवृत्ति शिशु की जरूरतों के अनुसार बदलती रहती है। सामान्यत: नवजात शिशु को हर 2-3 घंटे में स्तनपान कराना चाहिए। रात में भी शिशु को भूख लग सकती है, इसलिए रात में भी उसे स्तनपान कराएं। अंत में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि हर मां और शिशु की स्थिति अलग होती है।
यदि आपको स्तनपान के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या या संदेह हो, तो बिना झिझक अपने शिशु रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। स्तनपान एक सुंदर अनुभव है और इसे आराम और आत्मविश्वास के साथ करें। आपका शिशु स्वस्थ और खुशहाल रहेगा।