सिंगोरी न्यूजः मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए गढ.वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने जो कहा उसके लपेटे में सबसे पहले उनके ही राजनैतिक आका रहे पूर्व सांसद व रिटायर मेजर जनरल भुवन चंद खंडूरी ही आते दिख रहे हैं। वर्तमान सांसद ने कहा कि सांसद निधि से सीसी खड़ंजा निर्माण सिर्फ खाने पीने का साधन है। इसे बंद होना चाहिए। बात उन्होंने बिलकुल कायदे की कही, लेकिन उनकी यह बात उनके अपनों को कठघरे में खड़ा कर रही है। जाहिर तौर पर सांसद निधि पार्टी कार्यकर्ताओं में बांटी जाती है। इसमें ज्यादातर सीसी खडं़जा कार्य होते रहे हैं। घर गांवों में कई जगहों पर बेहद जरूरी भी होते हैं। यदि यह खाने पीने का साधन भर है तो साफ है कि यह खेल खुद सांसद और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच खेला जाता है। अब तीरथ भले ही निधि बंद कराने के पक्ष में दिख से रहे हैं। लेकिन इससे पहले के सांसदों की कार्यप्रणाली पर तो उनके सीधे सच्चे और तल्ख बयान ने सवाल उठा ही दिए हैं।
वह यह कि जब यह महज खाने पीने का साधन भर था तो इस ओर पहले ध्यान क्यों नहीं दिया गया। इससे पूर्व के सांसद रिटायर जनरल खंडूरी की ईमानदार छवि भी इस खानेपीने के साधन को सालों तक पोसती रही। ईमानदारी और खाने पीने के साधन एक साथ कैसे चलते रहे, यह सवाल तो उठ ही रहा है। यह भी कहा कि पांच करोड़ की धनराशि संसदीय क्षेत्र को देखते हुए बहुत कम है। ऐसे में प्रत्येक विकास खंड स्तर पर मामूली धनराशि ही जारी हो पाती है। इसके चलते बड़े विकास कार्य न होकर खडंजे, पुश्तों आदि के निर्माण में ही धनराशि जाया हो जाती है। कहा कि सरकार को सांसद निधि ही खत्म कर देनी चाहिए। सांसदों को अवस्थापना मद में सड़क, पुल, बिजली, पानी हैंडपंप सहित अन्य विकास कार्य दिए जाने चाहिए।
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने 17वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र को ऐतिहासिक बताया। कहा कि वर्ष 1952 से वर्तमान तक के इतिहास में यह सत्र सबसे लंबे समय तक चला। सत्र में 38 विधेयक पास हुए। इनमें जम्मू-कश्मीर प्रांत से अनुच्छेद 370 और 35 ए समाप्त किया जाना, तीन तलाक बिल सबसे महत्वपूर्ण रहा। कहा कि एनआईटी का स्थायी परिसर सुमाड़ी में ही बनाया जाएगा। अब देखना होगा कि सांसद तीरथ की सासंद निधि पर कही गई खाने पीने के धंधे की बात कुछ असर भी दिखाती है, या अन्य नेताओं की बयानबाजी की तरह सिर्फ लफ्फाजी तक ही सिमट कर रह जाती है। इस अवसर पर विधायक पौड़ी मुकेश कोली, पालिकाध्यक्ष यशपाल बेनाम, पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत, जिलाध्यक्ष महिला मोर्चा मधु खुगशाल, मातवर सिंह, ओपी जुगरान, धर्मवीर रावत, कमल रावत व संजय रावत आदि मौजूद थे।