सिंगोरी न्यूजः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत फैसले तो तत्काल ले लेते हैं। लेकिन कई बार उन पर कायम रहना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। हाल ही में लाॅकडाउन में एक दिनी छूट का निर्णय लिया। वो वापस लेना पड़ा। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बदलने का निर्णय हुआ उस पर भी रोल बैक करना पड़ा। अब बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि पर ज्योर्ति एवं शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने प्रश्न खड़े किए हैं। उन्होंने इस शास्त्र सम्मत नहीं बताया। उन्होंने कहा कि ऐसा करना अनिष्टकारी और अशुभ सिद्ध होगा। महामारी के चलते देव शक्तियों को प्रसन्न किया जाता है, नाराज नहीं।
हाल ही में जारी बयान में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि बदरीनाथ भगवान की प्रतिमा का स्पर्श केवल बाल ब्रह्मचारी ही कर सकता है। इसीलिए गृहस्थ डिमरी स्वयं पूजा नहीं करते है। वह यह जिम्मा ब्रह्मचारी रावल को सौंपते हैं। अब रावल भी लौट आए हैं तो तिथि में बदलाव का कोई कारण नहीं होता। यह तिथि ईश्वर की प्रेरणा से निकाली जाती है। उन्होंने कहा कि शंकराचार्यपीठ उन पुरोहितों को धन्यवाद साधुवाद करती है जो पुरातन काल से चले आ रही परंपराओं को खंडित होने से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। स्वाभाविक सी बात है कि सीएम को निर्णय लेने से पहले उस पर ठीक से विचार कर लेना चाहिए था ताकि रोलबैक की स्थितियांे की गुंजाइश ना रहे। देखना यह है कि दुनिया के सबसे बड़े धाम के कपाट खुलने की तिथियों पर जगदगुरू की बात रखी जाती है या फिर राजा का निर्णय ही मान्य होगा।