महंगाई आसमान की ओर है। सामान्य आय वर्ग वालों का बजट पूरी तरह से गडबड़ा गया है। लेकिन हैरानी है कि कहीं से विरोध के स्वर नहीं उठ रहे। विपक्षी दलों की आवाज भी धीमी है।
जानकारी है कि दिसंबर माह में प्याज, टमाटर सहित खाद्य तेलों की महंगाई ने खुदरा महंगाई दर के पिछले चार सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 7.35 फीसदी रही थी। यह भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान (दो से छह फीसदी) से भी ज्यादा पहुंच गई। हालांकि कोर महंगाई दर अभी 3.7 फीसदी है, जो पिछले साल के मुकाबले थोड़ी से ज्यादा है। इससे पहले जुलाई 2016 में यह सर्वाधिक रही थी।
अक्तूबर-नवंबर में यह रही थी महंगाई दर
2019 अक्तूबर में जहां खुदरा महंगाई दर 4.62 फीसदी रही थी, वहीं नवंबर में यह बढ़कर 5.54 फीसदी पर पहुंच गई थी। पिछले दो माह में प्याज की कीमतें भी 50 रुपये से बढ़कर 160 रुपये तक पहुंच गई थी। हालांकि अब प्याज की कीमतों में काफी कमी हो गई है।
सरकार ने प्याज कीमतों पर अंकुश के प्रयास देरी से शुरू किए। घरेलू बाजार में कीमतें नीचे लाने के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जबकि विक्रेताओं के लिए स्टॉक की मात्रा घटाकर चैथाई कर दी गई। इन कदमों का थोड़ा असर तो हुआ लेकिन अभी तक प्याज के भाव आसमान पर हैं। इस महंगाई का असर आरबीआई के रेपो रेट तय करने पर भी पड़ा और उसने दिसंबर में उम्मीदों को झटका देते हुए दरें स्थिर रखीं। रिजर्व बैंक ने स्वीकार भी किया कि प्याज की ऊंची कीमतों के दबाव में इस बार रेपो रेट नहीं घटाया है। इनपुट साभार अमर उजाला