जीत का उत्साहः बाजुओं की ताकत और हौसले ने बनाया सिरमौर

पौड़ीः विजयलक्ष्मी देवी, सतेश्वरी देवी, हेमादेवी रोशनी देवी, सुनीता देवी, मीना देवी, वीरा देवी वीरा देवी, विमला देवी, सरिता देवी, सुषमा देवी, रजनी देवी ये कठूली में आयोजित रस्साकस्सी टूर्नामेंट की विजेता रही ग्वीरालभीटा की टीम के खिलाड़ी हैं।

सुरजी देवी, अनीता देवी, उषा देवी, ममता देवी, उषा देवी, हिना देवी, नीलम देवी, मनीषा देवी, अर्चना देवी, लक्ष्मी देवी, अमिता देवी, धनेश्वरी देवी यह मिंदाणगांव की टीम है जिसे फाइनल में हुए कांटे के मुकाबले में पराजय देखनी पड़ी।
हार जीत खेल के दो पहलू हैं, लेकिन यहां ताकत, साहस, हौसला, रोमांच, जोश और जज्बे के जो दीदार हुए वह अगर तुलना की जाए तो आज अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में होने वाले खिताबी मुकाबले से उन्नीस नहीं होंगे।

कठूली के रामलीला मैदान में आयोजित टूर्नामेंट के खिताबी मुकाबले के लिए जब उक्त दोनों टीम उतरी तो मैदान के आसपास भले ही चटक धूप थी, लेकिन गहराई वाले तलहटी इलाकों से सूरज अपनी किरणों को समेटता दिख रहा था। मैदान के आसपास धूप में जितनी चटकी थी खेल का रोमांच भी उतनी ही उष्मा लिए था। रैफरी की लंबी सीटी बजते ही रस्सा थामे दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने अपने बाजुओं की ताकत का वो दम दिखाया कि अबला जैसे शब्द मिटे नजर आए।

इस टूर्नामेंट में एक बात जो बहुत खास रही वह यह कि यहां हरेक टीम का उत्साह किसी विजेता से कम नहीं था। ताकत और हौसले के इस खेल में क्षेत्र के महिला मंगलदलों ने माथे पर छलकते पसीने से जान डाल दी थी। जोश और जज्बे का चरम क्या होता है, कैसे किसी खेल में जान लगाई जाती है इसके स्पष्ट उदाहरण यहां साफ दिखे।

क्षेत्र पंचायत धीरेंद्र सिंह की ओर से विजेता, उप विजेता, आदि पुरस्कार दिए गए। निर्णायक की भूमिका में मुकेश कुमार, सतेंद्र मंझयाणी, ईश्वर सिंह, रविंद्र रावत, सोहन सिंह, कमल किशोर नेगी आदि रहे।

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