पठन संस्कृति की दिशा में पौड़ी प्रशासन की पहल सराहनीय: वीरेंद्र

बच्चों में 24 घंटे में 20 मिनट पढ़ने की आदत विकसित करने का जिलाधिकारी का आह्वान

पठन संस्कृति को पुनर्जीवित करने की दिशा में पौड़ी प्रशासन की पहल सराहनीय: वीरेंद्र खंकरियाल

शिक्षा, संस्कृति और साहित्य का संगम : साहित्यिक इच्छाशक्ति और जिला प्रशासन के विज़न से पौड़ी में नयी चेतना

पौड़ी सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत जनपद के 50 राजकीय इण्टर कॉलेजों के पुस्तकालयों हेतु हिन्दी साहित्य की पुस्तकों के वितरण के अवसर पर अटल आदर्श राजकीय इण्टर कॉलेज पौड़ी में पुस्तक वितरण एवं सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करते हुए दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। रा.इ.का. पौड़ी नगर के छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत की मनमोहक प्रस्तुति से मुख्य अतिथि का स्वागत किया। इस अवसर पर जनपद के प्रख्यात साहित्यकारों नागेन्द्र सिंह कठैत, गणेश खुगशाल (गणी), वीरेन्द्र खंकरियाल एवं संदीप रावत को प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।

जिलाधिकारी ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों का उद्देश्य केवल पुस्तक वितरण तक सीमित नहीं, बल्कि बच्चों में पठन संस्कृति को पुनर्जीवित करना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही वह साधन है जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर, जिम्मेदार और सशक्त बनाती है। हमारे देश जैसे विशाल लोकतंत्र में शिक्षित नागरिक ही मजबूत राष्ट्र की आधारशिला हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि पुस्तकें केवल परीक्षा के लिए नहीं, बल्कि जीवन को समझने के लिए पढ़ें। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि विद्यालयों में ऐसा वातावरण बनाएं जहाँ हर विद्यार्थी प्रतिदिन कुछ न कुछ नया पढ़ने की प्रेरणा पाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि डिजिटल युग में तकनीक का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से करना चाहिए ताकि बच्चे डिजिटल व्यसन से बचकर तकनीक को सीखने के साधन के रूप में प्रयोग कर सकें। उन्होंने कहा कि साहित्यकार समाज के दर्पण होते हैं। साहित्यकारों का सम्मान वास्तव में हमारी संस्कृति, विचारशीलता और रचनात्मकता का सम्मान है। उनकी रचनाएँ पीढ़ियों तक प्रेरणा देती हैं। ऐसे अवसरों पर समाज का प्रत्येक सदस्य स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करता है।

जिलाधिकारी ने सभी शिक्षाधिकारियों एवं प्रधानाचार्यों से आह्वान किया कि वे विद्यालयों में बच्चों को प्रतिदिन पढ़ने के लिए प्रेरित करें और इसे एक अभियान के रूप में संचालित करें। उन्होंने कहा कि “24 घंटे में 20 मिनट” प्रतिदिन पढ़ने की यह मुहिम विद्यार्थियों में ज्ञानार्जन की आदत को बढ़ावा देगी तथा उनका बौद्धिक और नैतिक विकास सुनिश्चित करेगी। उन्होंने बताया कि इस पहल से बच्चों में पुस्तकों के प्रति रुचि बढ़ेगी और डिजिटल माध्यमों पर निर्भरता में भी कमी आएगी।

मुख्य शिक्षाधिकारी नागेंद्र बर्तवाल ने कहा कि विद्यार्थियों को पुस्तकों का महत्व समझना होगा। किताबें ज्ञान का सबसे प्रामाणिक और स्थायी स्रोत हैं। नियमित पठन से न केवल ज्ञानवृद्धि होती है बल्कि चिंतन, विश्लेषण और अभिव्यक्ति की क्षमता भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में पुस्तकालय केवल कमरा नहीं, बल्कि ज्ञान का मंदिर हैं, जिनमें बैठकर विद्यार्थी जीवन के हर प्रश्न का उत्तर खोज सकते हैं।

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