देहरादून स्थित डोभालवाला में श्रीमद् भागवत महापुराण का आयोजन स्व शशि जुगरान की पुण्य स्मृति में परिजन (जुगरान बंधुओं) द्वारा किया गया। सात दिवसीय इस पितृ स्मृति आयोजन में ज्योतिष्पीठ व्यास पद से अलंकृत आचार्य शिव प्रसाद ममगाई ने जीवन के कई पहलुओं को अपनी वाणी से अर्थपूर्ण किया, भागवत आयोजन व श्रवण का महत्व समझाने के साथ ही जीवन का उद्देश्य व सांसारिक दुखों के कारणों को भी उद्घाटित किया।
भागवत में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु श्रोताओं को संबोधित करते हुए आचार्य कहते हैं कि वृन्दावन में प्रेम है तो मथुरा में ऐश्वर्य। गोपियों का प्रेम अन्योन्याश्रित है। जिसने उद्धव जी का ज्ञान गर्व समाप्त किया। उन्होने कहा इस संसार में हमारा क्या अस्तित्व है? कुछ भी तो नहीं ! यहाँ करोड़ों लोग आये, जीये, चले गए। ऐसे ही हम भी चले जाएंगे। हम क्या साबित करने जा रहे हैं ? मैं कुछ हूँ.. मैं करके दिखाऊँगा। किसको क्या दिखाना चाहते हैं हम? यह जो मन में भाव उठता है न, कि हम कुछ हैं, यही मूल कारण है दुःख का। सहज हो जाएँ, सबसे प्रेम से मिलें। कुछ साबित करने की कोशिश न करें। तभी हमारे जीवन में आनन्द घटेगा।
उन्होने भागवत को कलयुग का अमृत बताया। जिसमें अठारह हज़ार श्लोक हैं। इसका मतलब आठ और एक नौ होता है जो पूर्णांक है। जिसके श्रवनामृत से जीवन मे पूर्णता आती है। श्रवण से वंचित अपूर्ण देवता ब्रह्मा जी से कहते हैं की सुखदेव जी ने हमे बैठने का अवसर नही दिया तो ब्रह्मा जी ने कहा कि मै परिक्षित के सात दिन बाद ही आपको कुछ कह सकूंगा जबकि सातवे दिन परिक्षित स्वर्ग को जाने लगे तो तराजू मे श्रीमद्भागवत और सारे मुक्ति के साधन रखे, तो भागवत रूपी पलड़ा भारी पड़ा जबकि अन्य साधन बहुत ही हल्के रहे। धरा पर सतकर्म करने वालो को भागवत सुनने का अवसर मिलता है। भाग्यशाली लोग ही इस आयोजन को करा पाते हैं।
इस अवसर पर मुख्य रूप से श्री प्रेम जुगरान, राहुल जुगरान, देहरादून निगम के महापौर सुनील उनियाल गामा, श्रीमती सोभा उनियाल, सिम्पल जुगरान, शिवांग जुगरान, गौरांग जुगरान, शंभू प्रसाद जुगरान, आशुतोष जुगरान, अरुण, मनीष, आशीष जोशी, श्रीमती सेफाली जोशी, बिवांशु ढौंढियाल, दीपाली ढौंडियाल, प्रकाश बहुगुणा, सुषमा बहुगुणा, राजेश बहुगुणा, ममता बहुगुणा, शंभू सेमवाल, रंजना पुनीत मेहता, दामोदर लखेड़ा सीता पांथरी, प्रेमा ममगांई, आचार्य मंत्री थपलियाल, आचार्य सन्दीप बहुगुणा, आचार्य दिवाकर भट्ट, आचार्य हिमाशू मैठानी, आचार्य अंकित केमनी, आनिल चमोली, अंजना नौटियाल, शकुंतला नेगी, शिवचरण नेगी समेत बड़ी तादाद में भक्तजनों ने कथा श्रवण कर पुण्य लाभ कमाया।